जन्माष्टमी
जन्माष्टमी:-
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद यानी कि भादो माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में वृन्दावन हुआ था जिसके उपलक्ष्य में मनाया जाता है
भगवान श्री कृष्ण के पालन पोषण के बारे में बताया गया है कि माता यशोदा को पौराणिक ग्रंथों में नंद की पत्नी कहा गया है। भागवत पुराण में यह कहा गया है देवकी के पुत्र भगवान श्रीकृष्ण का जन्म देवकी के गर्भ से मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ। कंस से रक्षा करने के लिए जब वासुदेव जन्म के बाद आधी रात में ही उन्हें यशोदा के घर गोकुल में छोड़ आए तो उनका पालन पोषण यशोदा ने किया। यह सोचने की यह बात है कि भगवान श्री कृष्ण ने अपनी माता देवकी के गर्भ से जन्म लिया था लेकिन वास्तव में हमारे शास्त्रों में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा शिशु रूप में जल के कमल में आकर प्रकट होता है यह लीला पूर्ण परमेश्वर कबीर साहिब जी ने की थी, जो काशी के लहर तारा नामक तालाब पर आकर प्रकट हुए थे
इसके साथ पालन पोषण के बारे में भी भगवान श्री कृष्ण का पालन पोषण गोकुल में यशोदा जी के द्वारा किया गया था वहीं पर कबीर परमेश्वर का पालन पोषण जैसा कि ऋग्वेद मंडल नंबर 9 के शुक्त 1मंत्र 9 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा का पालन पोषण कुवांरी गाय के दूध से होता है उसी प्रकार से कबीर साहेब जी का भी पालन पोषण कवांरी गाय (बच्चिया) के दूध से हुआ था ।। इसके साथ में हमें इस बात का भी विचार करने की जरूरत है की भगवान श्रीकृष्ण तीन लोगों के भगवान थे फिर भी उनकी रक्षा के लिए कंस की जेल से रात्रि में बाहर निकालकर गोकुल ले जाया गया था,फिर इन दोनों में से बड़ा कौन है आखिर पूर्ण परमात्मा कौन है जो सबकी रक्षा करता है जैसा कि कबीर परमेश्वर जी ने लीला की थी जब कबीर परमेश्वर जी 5 वर्ष के बालक थे तो स्वामी रामानंद जी ने उनको एक नीच जुलावा समझकर डराने धमकाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने रामानंद जी की भक्ति विधि के अन्तकरण को बताकर उनको भी पूर्ण परमात्मा के बारे में ज्ञान बताया और उन्होंने बताया कि हमारा कभी जन्म मरण नहीं होता है हमें पूर्ण ही परमात्मा है उसके पश्चात रामानंद जी ने कबीर परमेश्वर जी को गुरु धारण किया था,
इसके अलावा श्रीकृष्ण भगवान के सानिध्य में महाभारत का युद्ध हुआ था जिसमें कृष्ण भगवान नहीं चाहते थे कि युद्ध है फिर भी युद्ध हुआ ।। जिसके बारे में गीता ज्ञान दाता स्वयं कहता है से अर्जुन तू चाहे युद्ध कर या नहीं कर पर यह तो पहले से ही मारे जा चुके हैं वही कृष्ण भगवान तो चारभुजा वाले थे लेकिन गीता जी के अंदर अर्जुन ने बताया कि यह सहस्राबहु तुम्हारा यह विराट रूप मुझसे देखा नहीं जा रहा है तुम वापस उसी चार भुजा वाले रूप में आओ जबकि भगवान कृष्ण तो उनके सामने ही थे उनकी चार भुजाएं थी,आखिर यह हजार भुजा वाला परमात्मा कौन है वो और कोई नहीं गीता जी अध्याय 11 के श्लोक 32 में जैसा कि कहता है कि मैं अभी-अभी प्रकट हुआ हुआ बढ़ा हुआ काल हूं यानी कि वह काल था।।
वही पूर्ण परमेश्वर कबीर साहिब जी ने काशी के पंडितों के द्वारा बताया गया था कि मगर मैं मरने वाला गधा बनता है और काशी में मरने वाला स्वर्ग में जाता है तो इस भ्रम को तोड़ने के लिए कबीर परमेश्वर जी ने मगर मैं एक लीला की थी, वहां से सशरीर सतलोक वापस को चले गए थे तो उस समय हिंदू राजा बीरसिंह बघेल और मुस्लिम बादशाह सिकंदर लोदी दोनों की सेना अपने गुरुजी के अन्तिम संस्कार अपने अपने धर्म के अनुसार करने के लिए आपस में झगड़ने लगे तो कबीर परमेश्वर ने उनके अन्तःकरण की बात को जानकर कहा कि मेरे जाने के बाद में जो बचे उसको आपस में बांट लेना, इस प्रकार से अपने तत्वज्ञान से उस युद्ध को टाल दिया था जब कबीर परमेश्वर जी सतलोक चले गए थे तो दो चादर और फूल बचे थे जिसको एक हिंदू राजा और एक मुस्लिम राजा लेकर चले गए थे और बाद में वहां पर एक हिंदू के लिए मंदिर और मुसलमानों के लिए मस्जिद बनाई, जो आज के दिन भी मगर मैं एक यादगार है
वहीं कबीर परमेश्वर जी तो सशरीर सतलोक चले गए थे,लेकिन जैसा कि कबीर साहिब जी ने कहा है कि यहां के तीन लोक के अंदर तीन ताप यहां के भगवानों के भी नहीं कट सकते हैं जैसा त्रेतायुग युग में भगवान विष्णु के अवतार में भगवान श्री राम के रूप में आये थे, तो उन्होंने एक पेड़ की ओट लेकर बाली के भाई सुग्रीव को मारा था, वहीं जब द्वापरयुग में वापस जब श्री कृष्ण भगवान आए तो उनको भी बदला चुकाना पड़ा था, जब भगवान श्रीकृष्ण एक पेड़ के नीचे सो रहे थे तो एक कालू नामक शिकारी शिकार के लिए बिष का तीर लिए हुए शिकार ढुंढ रहा था तो एकदम श्रीकृष्ण के पैर में पदम चमका तो कालू ने तीर चला दिया जिसके बाद में भगवान श्रीकृष्ण चिल्लाने लगे तो पता चला कि कोई व्यक्ति के तीर लग गया है,जब कालू शिकारी ने आकर देखा तो तीन लोक के भगवान श्रीकृष्ण थे तो उसने पश्चात करते हुए कहा कि मुझे माफ कर दो मुझे से गलती हो गई है तब भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि तेरी गलती नहीं है यह तो होना निश्चित था क्योंकि जब मैं श्रीराम अवतार में आया तो तुम बाली के भाई सुगरीव वाली आत्मा थी तब मैंने भी इसी प्रकार से पेड़ की ओट लेकर तुझे मारा था, इससे सिद्ध है कि वास्तव में पूर्ण परमेश्वर तो कोई ओर जिसके बारे में गीता जी अध्याय 18 के श्लोक 62 में कहा गया है कि हे भारत तू सब प्रकार से उस परमेश्वर की शरण में जा उस परमात्मा की कृपा से तू परम शांति सनातन परमधाम (सतलोक)को प्राप्त होगा।।
आखिर वह पूर्ण परमात्मा कौन है जो सब पाप कर्म काट देता है अधिक जानकारी के लिए आप अवश्य देखिए साधना टीवी पर सत्संग शाम 7:30 से 8:30 तक।।
Comments
Post a Comment
और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हम से जुडिए रहिएगा।।