कबीर परमेश्वर जी द्वारा जीवों का उद्धार करना

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       कबीर जी को आज तक हमने केवल एक महान् कवि के रूप में सुना था, वह एक महान कवि ही नहीं,सभी धर्मों के शास्त्रों के अनुसार वे एक पूर्ण परमात्मा है जो सम्पूर्ण सृष्टि के रचयिता हैं जिसके बारे में आज तक हमारे को किसी ने जानकारी नहीं दी, आखिर ऐसा क्या कारण है उनके बारे में बहुत सारे गुडरहस्य छुपे हुए हैं जिसके बारे में कुछ एक गूढ़ रहस्य के बारे में नीचे जानकारी दी जा रही है इसे आप गहराई से अवश्य जानने की कोशिश करें ।।
"सम्मन को पार करना"
               सम्मन एक बहुत गरीब व्यक्ति था। जब कबीर परमात्मा का भक्त बना। तब परमात्मा के आशीर्वाद से दिल्ली का महान धनी व्यक्ति हो गया, परंतु मोक्ष की इच्छा नहीं बनी।
सम्मान ने अपने परमेश्वर रूप सतगुरु के लिए अपने बेटे की कुर्बानी की थी। जिस कारण अगले जन्म में नौशेरखान शहर के राजा के घर जन्मा। फिर ईराक देश में बलख नामक शहर का राजा अब्राहिम सुल्तान बना। परमात्मा ने उस आत्मा के लिए अनेकों लीलाएं की और उसका उद्धार किया।
          

"दादू जी का उद्धार"
                           सात वर्ष की आयु के दादू जी को परमात्मा कबीर जी जिंदा महात्मा के रूप में मिले व ज्ञान समझाया और सतलोक दिखाया।
इसलिए परमात्मा कबीर जी की महिमा गाते हुए दादू जी कहते हैं :-
जिन मोकूं निज नाम दिया, सोई सतगुरु हमार ।
दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सिरजनहार ।।
           

"मीरा बाई को शरण में लेना"
                                      मीरा बाई पहले श्री कृष्ण जी की पूजा करती थी। एक दिन संत रविदास जी तथा परमात्मा कबीर जी का सत्संग सुना तो पता चला कि श्री कृष्ण जी नाशवान हैं। समर्थ अविनाशी परमात्मा अन्य है। संत रविदास जी को गुरू बनाया। फिर अंत में कबीर जी को गुरू बनाया। तब मीरा बाई जी का सत्य भक्ति बीज का बोया गया।
गरीब, मीरां बाई पद मिली, सतगुरु पीर कबीर। 
देह छतां ल्यौ लीन है, पाया नहीं शरीर।।
संत गरीबदास जी को शरण में लेना
                 
      इस प्रकार से ऐसे कई गुड़रहस्य है जिसको आज तक हम नहीं समझ सके अधिक जानकारी के लिए अवश्य देखिए हर रोज साधना टीवी पर सत्संग शाम 7:30 से 8:30 तक।।

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