दीपावली मनाना कितना सही है
दीपावली क्यों मनाई जाती है :-
जैसा कि पौराणिक कथाओं के अनुसार दीपावली मनाई जाती हैं इसमें दीपावली मनाने के लिए हमारे शास्त्र में कोई प्रमाण नहीं है लेकिन जैसा की पौराणिक कथा के आधार पर आम व्यक्ति दीपावली मनाता है विशेषकर हिंदू समाज के लोग इसमें उनका मानना है कि जब भगवान श्री राम को उनकी माता कैकई ने दशरथ जी से कहलवा कर 14 वर्ष का वनवास करवाया, जब वनवास पूर्ण करके साथ ही तीन लोक की देवी माता सीता जी को रावण की कैद से छूडाकर जब भगवान श्री राम जी अयोध्या नगरी वापस आए तो उस दिन घी के दीपक लगाकर खुशी के रूप में मनाया जो आगे चलकर एक परम्पर चल गई,और उसी दिन के बाद हर बर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा को दिवाली के रूप में मनाना शुरू किया गया
लेकिन विचार करने की बात है जब भगवान श्री राम ने माता सीता को अग्नि परीक्षा लेकर घर लेकर आए, लेकिन फिर भी एक धौबी के कहने मात्र से माता सीता को वन को छोड़ आए, तो फिर
यह खुशी कैसी हुई क्यो जिसकी पत्नी,और बच्चे अलग रहते हो उसको स्वन में भी खुशी नहीं हो सकती, इसलिए यहां का लोक खुशी का ही नहीं है क्योंकि जहां लोक में भगवान सुखी नहीं तो आम जीव सुखी हो ही नहीं सकता,
वर्तमान समय में दीपावली को आज के लोग काफी अलग ढंग से ले चुके हैं दीपावली पर लाखों रुपए के फिजूल के पटाखे फोड़ देते हैं, इससे वायु प्रदूषण होता है,साथ ही कही जगह पर आगजनी हो जाती है इसके अलावा लोग दीपावली के अवसर लाखों रुपए शाराब पीने में खर्च कर देते हैं जिससे आर्थिक हानि होती है शारीरिक व मानसिक भी नुकसान होता है क्योंकि एक पति शराब पीकर के अपनी पत्नी को पीटता है तो कई बार उस पत्नी को आत्महत्या भी करनी पड़ जाती है इस प्रकार से दीपावली मनाना का यह लोक ही नहीं क्योंकि यहां कब किसकी मौत हो जाती है पता ही नहीं चलता है जिसमें कई ऐसे परिवार भी हो जो दस दस वर्ष से त्योहार मना ही नहीं पाते है तो सभी इस धरती पर जितने भी मनुष्य प्राणी है उनसे प्रार्थना कि वर्तमान समय में भारत की धरती पर पूर्ण परमात्मा स्वयं आए हुए हैं तो आपसे प्रार्थना है समय रहते पहचान लो और जहां हम पहले सतलोक (जहां कभी जन्म मरण नहीं होता है कोई दुःख नहीं होता है) रहते थे वहां वापस कैसे आज इसके लिए आप अवश्य देखिए साधना टीवी पर सत्संग शाम 7 30 से 8 30 तक
वहीं असली दीवाली, की खुशी मना सकते हैं जैसा कि शास्त्रों में प्रमाण है कि तत्वदर्शी संत से नाम दीक्षा ग्रहण करके भक्ति करने वाले साधक का कभी जन्म मरण नहीं होता है यही सुख और सतलोक गमन सब मिलता हैं
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